एक क्यारी फूलों की
खिली है मेरे आँगन में
मंद मंद मुस्कुराती
एक हंसी
आई है मेरे जीवन में
एक नया नगमा कोई
नया सा सुर गुनगुना रहा हूँ
पार कर दुःख सारे
खुशियाँ लौटा रहा हूँ
सपना देखा था आज सवेरे
नन्ही परी आई थी घर मेरे
अलबेला हूँ
अकेला हूँ
नहीं हुए अभी सात फेरे
पर वो कोमल स्पर्श
वो किलकारियां उसकी
अब मुझे झकझोड़ रही हैं
या फिर शायद
जल्दी ही किसी से नाता जोड़ रही है
तमन्नाएं खिलने लगी हैं,
आने वाले कल की खुशबु
अब मिलने लगी है
एक सपने नें सपने संजो दिए
ख्वाइशों के फूल पिरो दिए
लगता है अब आएगा
मेरा भी एक कल
आने वाला है कोई साथ निभाने
ज़िन्दगी का हर एक पल
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